नीड़ का निर्माण फिर

नीड़ का निर्माण फिर,
फिर बनाना सूखे तिनकों से चंचल घोंसला,
नई डाली की नई महक में नए फूलों पर मचलना फिर,
फिर उड़ जाना पंख फैला,
मृदुल बदरी की घूंघट ओढ़,
नई दुल्हन की आसमा से होड़,
घूंगट की लज्जा, लज्जा में अभिमान फिर,
नीड़ का निर्माण फिर ।

नीड़ का निर्माण फिर,
फिर सवारनी नयी सरिता,
नयी बगिया, नदिया का छोर,
नए पर्वत की नयी तलहटी,
उद्गम वृक्ष, जंगल घनघोर,
और टटोलना कनक का सागर,
प्यास बुझाता संसार का गागर,
साधना विश्व-विशाल फिर,
नीड़ का निर्माण फिर |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *