तर-बतर

जिस कदर , बेबस, रास्तो पर हम चले जा रहें हैं,
गुप्प अँधेरे में साये भी पराये नज़र आ रहे हैं।

जिन सितारों की धूरि पर चली थी कश्ती मेरी,
वे सितारे आज टूट कर ज़मीं पर आ रहे हैं।

जिन्होंने छोर पर उड़ाती रेट पर अपना सर टेक दिया,
वो लोग आज मेरे हशर पर गौर फर्मा रहे हैं।