के ये जो शोर मचा है गलियों में, इस भोर,
ये जो जुलूस निकला है खूनियों का घनघोर ,
ये जो चहक है चीखों की-कच्छ के वीराने को भेदती,
किसने छेड़ी ये राग,
किसने थामी इस बार,
कठ्पुतलियों की डोर?
Orbiting Earth at 64,000 kms
के ये जो शोर मचा है गलियों में, इस भोर,
ये जो जुलूस निकला है खूनियों का घनघोर ,
ये जो चहक है चीखों की-कच्छ के वीराने को भेदती,
किसने छेड़ी ये राग,
किसने थामी इस बार,
कठ्पुतलियों की डोर?