आखिर कब तक परछाईयों में जीवन,
धुंधला -धुंधला सा मादक चितवन,
ढूंढना जवाब सवालों का,
जिनका सन्दर्भ ही छूट गया,
कब तक करना यादों का विवरण,
कब तक विवेक से दूर हकीकत,
आखिर कब तक ।
बीते कल को फिर से जीना,
मुस्काते चेहरों पर आहें भरना,
वो चेहरे जो बदल गए,
कल के ऋतुओं की बारिश में,
उन चेहरों से महरम की हसरत,
कल पर गुमान की यह फितरत,
आखिर कब तक ।